कुछ लोग ऑनलाइन शिक्षा में सामाजिक भेदभाव को देख रहे हैं. उनका तर्क है कि पिछड़े तबके के पास स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, डेटा, आदि नहीं है, इसलिए वे ऑनलाइन के लाभ से वंचित रह जायेंगे।
ऐसा सोचना गलत भी नहीं है। बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो आनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उनके पास स्मार्टफोन नहीं है, जो कि आनलाइन पढ़ाई की बुनियादी आवश्यकता है। बहुत से परिवारों में एक ही स्मार्टफोन है, जिसे लेकर परिवार के मुखिया काम पर चले जाते हैं। ऐसे में बच्चा पढ़ाई कैसे करे?
कुछ परिवारों में कई बच्चे हैं जो अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ते हैं। सभी बच्चों के लिए स्मार्टफोन खरीदना अभिभावक के लिए संभव नहीं होगा। ऐसे बच्चे आनलाइन पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। कई जगहों पर नेटवर्क की समस्या है। बच्चों के साथ साथ शिक्षकों के लिए भी यह एक समस्या है।
बहुत से बच्चे ऐसे हैं जिन्हें सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं, फिर भी वे पढ़ना नहीं चाहते। आनलाइन कक्षाओं में एक दिन उपस्थित रहेंगे, दूसरे दिन गायब हो जाएंगे। दिए गए कार्यों को कभी पूरा नहीं करेंगे। आनलाइन कक्षा के समय मोबाइल में गेम खेलते रहेंगे। अनावश्यक संदेश एवं चित्र भेजकर शिक्षण में व्यवधान उत्पन्न करेंगे।

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